Self Introduction आत्मपरिचय

अपने आत्मपरिचय को सही ढंग से करना महत्वपूर्ण है। जब हम एक नए व्यक्ति से मिलते हैं, तो हमारा आत्मपरिचय हमारे बारे में पहला परिचय होता है। यह हमारे बीच संवाद को सहज बनाए रखने में मदद करता है।

सही आत्मपरिचय से ही हम दूसरों के साथ संबंध बना सकते हैं ।

इसलिए, आपसी संवाद में सही आत्मपरिचय एक महत्वपूर्ण कदम है जो हमें दूसरों के साथ रिश्तों की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।

इस वार्ता में, प्रिया और राहुल ने सही ढंग से आत्मपरिचय किया और एक-दूसरे के साथ संवाद की शुरुआत की।

Priya: Hello Rahul, nice to meet you!

(नमस्ते Rahul, तुमसे मिलकर खुशी हुई!)

Rahul: नमस्ते Priya, बहुत खुशी हुई!

(Hello Priya, nice to meet you too!)

Priya: Same here! So, what do you do?

(यहीं है! तुम क्या काम करते हो?)

Rahul: मैं software engineer हूँ, तुम्हें?

(I am a software engineer. And you?)

Priya: I work in marketing. तुम्हारी पसंद क्या है?

(मैं मार्केटिंग में काम करती हूँ. What are your interests?)

Rahul: I love reading books. तुम?

(मुझे किताबें पढ़ना पसंद है. And you?)

Priya: I enjoy painting. तुम्हें कहाँ रहते हो?

(मुझे पेंटिंग का आनंद है. Where do you live?)

Rahul: I live in Mumbai. तुम?

(मैं मुंबई में रहता हूँ. And you?)

Priya: I’m from Delhi. बहुत अच्छा!

(मैं दिल्ली से हूँ. That’s great!)

Rahul: हाँ, बहुत! Nice meeting you, Priya.

(हाँ, बहुत! Nice meeting you too, Priya.)

Priya: आपसे मिलकर खुशी हुई, Rahul.

(आपसे मिलकर खुशी हुई, Rahul. Pleasure meeting you, Rahul.)

इस वार्ता में, प्रिया और राहुल ने सही ढंग से आत्मपरिचय किया और एक-दूसरे के साथ संवाद की शुरुआत की।

See also  विद्यार्थियों को विपरीत शब्द सिखाने के लाभ

यह आत्मपरिचय न केवल उनके बीच की मित्रता को बढ़ावा देने में मदद करता है, बल्कि इससे एक रिश्ते की शुरुआत होती है। इससे एक-दूसरे को समझने का अवसर मिलता है।

You may also like...